Loading...

Yoga Video

मस्तिष्क का विकास

मस्तिष्क का विकास

जहां तक मस्तिष्क के विकास की बात है, मस्तिष्क का विकास न तो दाहिने स्वर में अर्थात्  न तो सूर्य स्वर में हो सकता है और न ही पूर्ण रूप से बायें स्वर अर्थात् चंद्र स्वर में हो सकता है। जो अभ्यस्त या जो योगी होते हैं, उनके अपने अनुभव हुए हैं। तो कुछ योगी कहते हैं कि दाहिने मस्तिष्क को सर्वोत्तम मानते हैं । उनके अनुसार यही मस्तिष्क क्रिएटिव मस्तिष्क है ।  कुछ योगी कहते हैं कि बायाँ मस्तिष्क सबसे अच्छा है क्योंकि यह व्यवहार का ज्ञान करवाता है । कुछ भाग्यवादी कहते हैं भाग्य पर ही जीवन का प्रत्येक घटना निर्भर करती है किंतु इसी के विपरीत कुछ कहते हैं कर्म की प्रधानता ही मस्तिष्क का सर्वोच्च प्रगति का स्रोत है ।  

अंततः मस्तिष्क की प्रगति किसी एक विशेष क्रिया से नहीं संभव है । दस इन्द्रियाँ और एक मन जो पूरे मस्तिष्क को प्रभावित करती है , और उसके साथ साथ विवेक जिसके माध्यम से पुरुष प्रकृति के साथ संबंधों को बनाता है , वह पुरुष स्वयं को किस प्रकार से समझता है । यह सभी मस्तिष्क के उच्चतर वृद्धि में सहायक होता है । 

मस्तिष्क की वृद्धि व विकास इस बात पर माना जाता है कि आप कितने ऑब्जर्वेंट हैं। यदि आप बहुत उच्चतर स्तर पर ऑब्जर्वेंट हैं, आपकी सामान्य बुद्धि व कॉमन सेंस बहुत हाईली एक्टिव है, तो इसका मतलब कि आपके मस्तिष्क की ग्रोथ अच्छी है । अब कॉमन सेंस कहां पर सबसे अच्छी होती है? मेरे

 अनुसार, ना तो पूर्ण रूप से दाहिने स्वर में अर्थात राइट लेफ्ट ब्रेन और ना बाएं स्वर में अर्थात राइट मींस क्रॉस में चलता है। ध्यान दोनों में कहीं पर कॉमन सेंस पूर्ण रूप से आपको नहीं दिखाई देगा, क्योंकि दोनों में हाफ-हाफ है। जैसे आप एक रूम में गए, अब कोई लेफ्टिस्ट साइड का है, तो वह इमीडिएटली बता देगा कि उस कमरे में कहां पे काले धब्बे हैं, कहां पे गड़बड़ियां हैं।

अब उसके अंदर ठीक करने की क्षमता नहीं है, बस उसके अंदर इतना देखने की क्षमता है कि गड़बड़ी कहां है, दोष...

दोषों को ही देख रहे होते हैं, वो का दोषों को खत्म करने के लिए काम नहीं करते। इसलिए हिस्ट्री उठा के देखिए, जहां-जहां पर इन्होंने राज्य किया, वो देश, वो राज्य, वो सोसाइटी बर्बाद हो गई। कहीं पर अच्छा काम नहीं कर पाती क्योंकि दोष देखने का इनका मास्टर, इनकी विचारधारा नहीं राइट ब्रेन—जो राइटिस्ट है—सॉरी, राइट विचारधारा की, वो सिर्फ ऑफेंस मोड पर रहते हैं। वो सिर्फ काम कर रहे होते हैं, कुछ न कुछ इधर-उधर कर रहे होते हैं।

ऑल द टाइम उनकी ऑब्ज़र्वेशन उतनी नहीं होती जितना लेफ्ट पर। इनमें कर्मा की कैपेसिटी बहुत होती है, जबरदस्त काम करते हैं। इसीलिए ऐसे लोग चेंजेस (परिवर्तन) ज़्यादा लाते हैं। पर दोनों में कुछ ना कुछ गलतियां हैं।

इसीलिए हमेशा मैं कहता हूं, मिडिल पोर्शन ब्रेन व मस्तिष्क का मध्य हिस्सा, उपयोग में लाओ जो मध्य में है। दोनों पार्ट (भाग) को यूज़ कर रहा है, जैसे मैं।

अगर आप चाहें तो मैं बाकी का हिस्सा भी इसी तरह व्यवस्थित कर सकता हूँ।

राइट और लेफ्ट पे देख के नहीं करते पर राइट और लेफ्ट आपकी अवेयरनेस में रहता है। तभी आप ड्राइव कर पाते हैं। यदि आप सिर्फ लेफ्ट को देखेंगे तो ड्राइव नहीं हो सकता। कार की ड्राइव या किसी भी चीज की ड्राइविंग यदि आप राइट में देखते हैं तब भी ड्राइविंग नहीं हो सकती। इसीलिए सेंटर पर देखा जाता है। भले ही आप राइट या लेफ्ट सीट पर बैठे हो, पर आप सेंटर पर देखते हो। तो यहां पर ध्यान दो—जब भी आप काम कर रहे होते हैं, वन ऑफ द बेस्ट सेंटर है। जैसे आप सोचो, आप मेडिटेट करो। मेडिटेशन के एक पोश्चर में बैठ जाओ और आप सोचने की क्रिया किसी भी एक विषय पर शुरू करो।

आप एक्सपेरिमेंट करो अपने आप के ऊपर और आप देखोगे, आपकी आंख एक दिशा में ज्यादा भागेगी—या तो लेफ्ट की साइड। दोनों आंख या तो लेफ्ट की साइड ज्यादा भागेंगी या तो राइट की साइड भागेंगी। आप नोट करोगे। यह आंखों की दिशा का झुकाव आपको यह बताएगा कि आप किस हेमिस्फियर का ज्यादा उपयोग कर रहे हो। कोई भी सोच प्रक्रिया हो, वह आंखों के मूवमेंट से जुड़ी होती है। मेडिटेशन करते समय जब आप ध्यान केंद्रित करते हो, तब भी आंखें हल्की हल्की मूव करती हैं। आप जब थक जाते हो, तब भी आंखें ऊपर या साइड में मूव करती हैं। जब भी आप किसी गहरी सोच में जाते हो या फिर ध्यान में, तो आंखें किसी एक दिशा में टिकती हैं।

यह भी ध्यान दो कि राइट और लेफ्ट ब्रेन का कॉर्डिनेशन हमारी चेतना से गहराई से जुड़ा है। यह जो सेंटर की बात की जा रही है, वह सिर्फ शरीर के संतुलन की नहीं बल्कि मानसिक संतुलन की भी है। अगर आप सिर्फ एक तरफ झुके हो, जैसे सिर्फ भावना में या सिर्फ लॉजिक में, तो आप असंतुलन में हो। योग का उद्देश्य उस संतुलन को लाना है, जहां राइट और लेफ्ट दोनों सक्रिय हैं, लेकिन केंद्रित चेतना के अधीन।


Copyright - by Yogi Anoop Academy