क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे मन द्वारा बनाए गए दृश्य, चित्र या कल्पनाओं का भी कोई वजन होता है? यह प्रश्न सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है, क्योंकि आमतौर पर हम यह मानते हैं कि केवल भौतिक वस्तुओं का ही वजन होता है। लेकिन अगर हम इस बात पर आध्यात्मिक दृष्टिकोण से विचार करें, तो यह प्रश्न बहुत गहरी समझ की ओर इशारा करता है।
जब हम किसी वस्तु को देखते हैं, तो हम उसे आकार, रूप और भार से परखते हैं। हर भौतिक वस्तु का एक निश्चित वजन होता है क्योंकि वह भौतिक संसार में अस्तित्व रखती है। लेकिन जब हमारा मस्तिष्क कोई दृश्य या कल्पना करता है, तो क्या उसका भी कोई वजन हो सकता है? विज्ञान की दृष्टि से इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है, किंतु मेरी आनुभविक आध्यात्मिकता में यह सिद्धांत पूरी तरह स्वीकार्य है। उसमें उन वाह्य जगत के दृश्यों से कहीं अधिक वजन विद्यमान होता है । उन काल्पनिक विषयों में कहीं अधिक भार होता है बनिस्बत बाहरी जगत के दृश्यों के ।
मानव मन अद्भुत है। यह हर समय विचारों, चित्रों और कल्पनाओं का निर्माण करता रहता है। उदाहरण के तौर पर, मान लीजिए कि आप यह सोचते हैं कि आपके मस्तिष्क में कोई बड़ा फोड़ा है जो फटने वाला है। यह विचार पूरी तरह से आपकी कल्पना का परिणाम हो सकता है, लेकिन जैसे ही आप इसे गंभीरता से लेते हैं, आपका शरीर इस विचार पर प्रतिक्रिया करने लगता है। रात में एक रस्सी में सर्प का वास्तविक आभाष आपमें भयंकर भय पैदा कर देता है । आपकी दिल की धड़कन तेज हो जाती है, मन में बेचैनी उत्पन्न होती है, और आप एक भारी बोझ महसूस करने लगते हैं। यह मानसिक चित्र, जो केवल आपके मस्तिष्क में था, अब आपकी शारीरिक स्थिति पर हावी हो चुका है।
यहाँ, आध्यात्मिक दृष्टिकोण से यह कहा जा सकता है कि उस मानसिक चित्र का वजन था। यह दृश्य, जो केवल आपकी सोच का परिणाम था, आपके पूरे अस्तित्व को प्रभावित कर रहा है। इससे यह स्पष्ट होता है कि मानसिक चित्रों और विचारों का भी एक वजन होता है, भले ही वह हमें भौतिक रूप से दिखाई न दे।
भक्ति और आध्यात्मिकता में यह अक्सर कहा जाता है कि “सब कुछ भगवान पर छोड़ दो।” इसका वैज्ञानिक आधार यह है कि जब आप अपनी मानसिक परेशानियों और बोझ को किसी मानी हुई उच्चतर शक्ति पर छोड़ देते हैं, तो आप मानसिक रूप से हल्का महसूस करते हैं। यह एक तरह से आपके दिमाग के वजन व भार को कम करने का तरीका है। जब आप यह मान लेते हैं कि आपकी समस्याओं का हल किसी और के पास निकल सकता है, तो आपका मानसिक तनाव कम हो जाता है और आप अल्प काल के लिए शांति का अनुभव करते हैं। और वह अल्प काल ही बचने के लिए महत्वपूर्ण होता है । क्योंकि उसमें मानसिक बोझ शिखर पर होता है । उस बोझ के दबाव से शिथिलता के लिए इससे अच्छा त्वरित उपाय मैंने देखा भी नहीं है ।
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