क्या आपको बार-बार पेट ख़राब रहने, गैस, कब्ज़, भारीपन या अवसाद जैसी समस्याएँ होती हैं?
क्या चिकित्सकीय जाँचों में सब कुछ सामान्य है फिर भी आपकी तकलीफ़ बनी रहती है?
यदि हाँ, तो यह नाभि व धरण के डिगने यानी नेवल डिस्प्लेसमेंट से जुड़ी समस्या हो सकती है – एक ऐसा क्षेत्र जिसे आधुनिक चिकित्सा अक्सर अनदेखा करती है, परंतु योग और प्राचीन अनुभव इसे बहुत गंभीरता से देखते हैं।
योगी अनूप का अनुभव और परामर्श पद्धति
योगाचार्य योगी अनूप पिछले 35 वर्षों से नाभि और धरण की समस्याओं पर शोध व कार्य कर रहे हैं। उनके अनुसार, यह केवल शारीरिक समस्या नहीं है, बल्कि यह मानसिक, तंत्रिकीय और प्राणिक असंतुलन से जुड़ी एक गहन स्थिति है।
योगी अनूप का परामर्श ध्यान, प्राणायाम और गहरे आत्म-अनुभव पर आधारित होता है, जहाँ रोग का समाधान दवाओं से नहीं, बल्कि प्राण के प्रवाह को संतुलित करके किया जाता है।
नाभि व धरण डिगने के तीन मुख्य कारण
नाभि व धरण की गहराई को समझना क्यों आवश्यक है?
नाभि कोई स्थूल अंग नहीं है जो “चल जाए” या “उखड़ जाए”, बल्कि यह शरीर का प्राकृतिक गुरुत्व केंद्र (Centre of Gravity) है — वहीं बिंदु जिससे गर्भ में बच्चे का संपूर्ण शरीर और मस्तिष्क विकसित होता है।
जन्म के बाद भी, यदि इस केंद्र के आसपास की नसें, मांसपेशियाँ या नाड़ियाँ असंतुलित होती हैं, तो शरीर में ऊर्जा का प्रवाह बाधित हो जाता है — यही नेवल डिस्प्लेसमेंट की जड़ है।
नेवल डिस्प्लेसमेंट के लक्षण क्या होते हैं?
ज्यादातर यह समस्या इतनी सूक्ष्म होती है कि आधुनिक जाँचों में इसका कोई स्पष्ट कारण नहीं मिलता, किंतु पीड़ा बनी रहती है।
नाभि के प्रभावित क्षेत्र और उनका प्रभाव
योग, प्राणायाम और ध्यान के माध्यम से समाधान
योगी अनूप द्वारा निर्देशित विशेष नाभि चिकित्सा प्रोटोकॉल में शामिल होते हैं:
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